:-‌(-:)-:)-:)-:)-:)-:)-:) कहां है :-)-:)-:)-:)-:)-:)-:)-:)



प्राण बिना प्राणी कहां है ,

जिहँवा बिना वाणी कहां है

मर रहा है जो जगत में शौक कोई करता कहां है ।

रोने हेतु आसू कहां है ?

हसने हेतू परिहास कहां है?

असमंजस में पड़ गया है जीवन अब खुशनुमा

शाम कहां है।

मनुष्य में चरित्र कहां है ?

चरित्र बिना मनुष्य पवित्र कहां है?

जो बनाए ऐसा व्यक्तित्व ऐसा महाभट महान कहां

है।
हर एक विष की काट कहां है ?

हर एक भार की बाट कहां है ?

जिस वन में विचरते रहने पक्षी अब उनकी

चहचहाट कहां है।

हर घर अब राम कहा है ?

सीता का सम्मान कहां है ?

बस इसी वजह से बेबस हो तुम मचा पड़ा संग्राम

यहाँ है।

ऋतुओ का सौहार्द कहां है?

बसंत का बहार कहां है ?

जो आर्यव्रत की हर गली घूमा ऐसा नरेद्र महान

कहां है।

मनुष्य में दया भाव कहां है?

इनमें करुणा का नाम कहां है?

अमृत के नाम पर जो वृष दे ,

ऐसा बहुपढित समाज यहाँ है।

Composed by:- हर्ष पाण्डेय

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