मेरी बातों को अनसुना करके जाने क्या जताती हैं
मैं तो जज़्बात को बता रहा वो जाने क्या बता रही हैं
सताए जा रही हैं वो हमको अपनी अदाओं से
दिल के उलझे हालात वो हमको कम बताती हैं
बहुत घूम रही हैं आजकल वो अजनबियों के संग
थोड़ी सी अनबन में वो हमको अजनबी बताती हैं
इंतज़ार करने के सिवा हम कर भी क्या सकते हैं
ढाकर सितम वो हमको सितंगर बताती हैं
(●´⌓`●)
। ।
हर्ष पाण्डेय
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