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हर्ष की कविता
ये वेबसाइट मेरी कविताओ का संग्रह है | मैं हर हफ्ते इस पर कविताये डालता हूँ |
आत्मविस्मृत
भीड़ बढ़ा कर भी जिंदगी में क्या पाया
गमों के साथ खुद को हमनें अकेला पाया
गुजर गए वो दिनों रात जब महफ़िल सजा करती थी
कल भरे बाज़ार हमनें ख़ुद को अकेला पाया।
<( ̄︶ ̄)>
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हर्ष पाण्डेय
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