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हर्ष की कविता
ये वेबसाइट मेरी कविताओ का संग्रह है | मैं हर हफ्ते इस पर कविताये डालता हूँ |
वियोग
पूर्ण प्रेम की अभिलाषा ले
हृदय में थोड़ी धीर धरी ,
अनभिज्ञ मैं था प्रतिद्वंद्वी से
निश्चिता में सब पीर पड़ी ,
वर्णन अनुवादन क्या करते
भय - वश मुझसे यह भूल हुई,
मुझे प्रेम है तुमसे कहने में
अब तो मुझसे बड़ी देर भई ।
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।
हर्ष पाण्डेय
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