पूर्ण प्रेम की अभिलाषा ले 
हृदय में थोड़ी धीर धरी ,
अनभिज्ञ मैं था प्रतिद्वंद्वी से 
निश्चिता में सब पीर पड़ी ,
वर्णन अनुवादन क्या करते 
भय - वश मुझसे यह भूल हुई,
मुझे प्रेम है तुमसे कहने में 
अब तो मुझसे बड़ी देर भई ।

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हर्ष पाण्डेय