पैसा कितना जरूरी है ये शहर की मैट्रो बताती है
मोहब्बत वाली गाड़ी तो गांव जाती है
कमा कमा कर ख़ुद को सबके साथ के लिए
कुछ बचे पैसे लिए घर आती है
जब सब ख़त्म होता है तो शहर खामोश रहता है
बिना पैसे के ख़ुशी गांव आती है
तुम भी क्या ढूंढ रहे हो हर्ष
कच्ची सड़क कब शहर आती है
मिल जाता है सुकुन जुनून घर आने पर
और कुछ करने की चाह शहर लाती है
शहर में रोज उत्सव है देवियां आ जाती हैं
गांव में उत्सव तब होता,लक्ष्मी घर आती है
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हर्ष पाण्डेय
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