काल को भी भय  में जो डाल देती हैं |

जब हाथों मे अस्त्र - शस्त्र ढाल लेती हैं |

असुरों के रक्त से जो स्नान करती हैं |

जब उन महादेवी का भक्त नाम लेते हैं |


सूर्य से भी ज्यादा तपित  हैं जिनका तेज |

पर भक्तों के लिए जैसे आकाश में छाए मेघ |

ज्ञानियों को भी जो मोह  में डाल देती हैं |


जब उन महादेवी का भक्त नाम लेते हैंं |




देवता भी जिनका हर क्षण भजन करते हैंं |


महादेव जी जिनको सुमिरन करते हैंं |


वह महिषासुर जैसे असुरों को मार देती हैं |


जब उन महादेवी का भक्त नाम लेते हैंं |



            Composed by :- हर्ष पाण्डेय