जब स्वस्थ था तब मस्त था
ना याद आई मां की
जब दुःख से त्रतस्थ था
तब याद आई मां की
जब मै आगे बढ़ रहा था
याद ना आई बाप की
अब की पीछे मै खड़ा हूं
तब याद आई बाप की
जब मै महफिलों में मशगूल था
तब याद ना आई परिवार की
जब अकेला हो गया
तब याद आई परिवार की
जब अपनों से ही धोखा हुआ
तो याद ना आई विश्वास की
जब यही मेरे संग हुआ
तो याद आई विश्वास की।
Composed by:- Harsh Pandey
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