दुसरे लोक में जाने का एहसास कैसा होता है मुझे
इसका तिनका भी ज्ञान नहीं ,
लेकिन इस लोक में रहकर दुसरे लोक के बारें में
सोचने से बड़ा भय लगता है ,
क्या पाप-पुण्य की सारी कहानियां सच होती
होंगी?
जीवन का तो विशाल अस्तित्व है।
क्या मृत्यु का भी कोई अस्तित्व होता होगा?
इस लोक का सफ़र तो शुरू ही हो गया है ,
और मै अपने जीवन का इक्कीस वर्ष तक का
सफ़र तय भी कर चुका हूं,
कभी न कभी उस लोक के दरवाजे तक पहुँच ही
जाऊंगा,
तब मुझे मृत्यु और परलोक का ज्ञान होगा।
Composed by :- हर्ष पाण्डेय
2 Comments
nice lines
ReplyDeleteWow bhai, good
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