तुम ना आए होते तो और क्या हो जाता ?
थोड़ी सी जिंदगी बोरिंग हो जाती
थोड़ा मैं भी बोरिंग हो जाता
मजेदार नहीं रहता।
तुम ना आए होते तो और क्या हो जाता ?
थोड़ी तकलीफ़ बढ़ जाती
और जीने का तरीका बदल जाता
मै कोई ऐसा वैसा थोड़े ही था
मै भी माँ का लाडला था।
तुम ना आए होते तो और क्या हो जाता ?
पहले में दिनभर दोस्तो के साथ रहता
आगे भी रह जाता,
मस्ती से, ख़ुशी से , हस्ते खेलते
मस्तमौला जिंदगी बिताता।
तुम ना आए होते तो क्या हो जाता ?
ये मासूम चेहरा कुछ और साल रह जाता
कुछ दिन और मां के आंचल तले रह जाता
कुछ दिन और बहन को सताता,
पर तुम जो मिले थे तो बहन,भाई,मां, पापा
कहां याद आते,
तुमको याद करके हम फूला नहीं समाते।
तुम ना आए होते तो और क्या हो जाता ?
कम से कम ढाई अक्षर की जगह दो अक्षर पढे
होते तो जीवन में ये लिखने का मौका नहीं आता,
पर अब हम तुम्हें दोष क्यों दें,
तुम्हारी कोई गलती नहीं
तुम आगे बढ़ी और बस
साथ यहीं तक था।
Composed by -: हर्ष पाण्डेय
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