×•×•×•×•× मौत पर गुफ्तगू וווו×



कजा की रात थी मैं बेखौफ सोया था

मुझे क्या मालूम मेरे पीछे कौन रोया था

अपने साप बने और मुझे ही डसे ,क्या मालूम

जब डसे तब लगा कि चंदन बोया था

कमाया खूब और बड़ी सी इमारत बनाई

आख़री वक्त पर मैं बाहर सोया था

मेरे अपने सभी थे मेरे अंतिम वक्त पर

पर अपनो को देखने को बहुत बार रोया था

आज जाके तो ये तन मरा है

मन मारा तो मैं कई बार गया था

सबकी आंखों में आंसु आए होगें

मैं बार बार रोता रहा जानें कौन कहा खोया था

मौत तो सबसे ज्यादा अपनी हैं "शगुफ्ता" बेखौफ

मिलना

इससे ऐसे मिलना जैसे बहुत पुराना यार मिला था।

0 Comments