•√•√•√•विचार विमर्श •√•√•√




बात ऐसी है कि मैं कह नहीं पाऊंगा

और बिना कहे रह नहीं पाऊंगा

खूब पढ़े ,लिखे ,खेले और मौज की

या यूं कहें कि बस मौज की

आलम ये है कि हर कोई इंतेहान लेने पर आमादा है

अच्छाई लाख़ हो मुझमें पर सर्टिफिकेट बुराई का बाटा

जाता है

अब ये बोझ सहना कठिन जान पड़ता है

यहां नाम ना होने पर नाम हो जाता है

लोग कहते हैं तुममें दुःख बहुत है

मैं कुछ कहता नहीं

पर ज़ुबान पर उनका नाम आ जाता है

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