जैसे हर मौसम में सावन सबसे अच्छा लगता है
तुम्हारे आंगन में शाम बिताना अच्छा लगता है
बदनामी हो इसकी हमको फिक्र कहा है
हर शब में नाम आना अच्छा लगता है
हर चौराहे पर गुफ्तगु हो किसी की, हमें क्या ?
जब चर्चा हो अपने नाम की हो तो अच्छा लगता है
पुकारे कोई किसी नाम से हमें क्या
तुम्हारे नाम से कोई नाम तो अच्छा लगता है
सीधा साधा समझ जो हमसे दूर रहा करते थे
कहीं देखते ही गुरु कहते हैं तो अच्छा लगता है
अब और क्या क्या कहे "शगुफ्ता" तुम्हारे बारे में
ज़ख्म हो तुम, कोई कुरेदे तो अच्छा लगता है
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