क्या बताऊं

बहोत से ख़्वाब जो मुक्कमल ना हुए उनमें से एक तुम भी हो।



बहुत बारिश हुई कल क्या बताऊं

दिल की ख्वाहिश हुई थी तुम क्या बताऊं

तुम कल आओगी नहीं दिल को क्या बताऊं

ये इंतज़ार कितना होगा क्या बताऊं

सुबह रात हो गई इश्क तबाह हो गया क्या बताऊं

 कहा था की मैं तुम हम होगें ये दिन का सपना

 था क्या बताऊं 

मालुम होता है की सब मालूम था उसे मुझे क्या

 मालूम क्या बताऊं 

(⁠≧⁠▽⁠≦⁠)
हर्ष पाण्डेय 

0 Comments