मशगूल इश्क




किसी से बात करने हो तो वो कहा है शरमाते
उन्हें फुर्सत कहा इतनी जो हमसे इश्क़ फरमाए

सालो साल ये खयाल उन्हें आता भी तो कैसे
जिस्म की भूख है ऐसी ख्याल - ए - इश्क़ का कहा लाते

सितारों से भरा जहान, चांद का नूर है तुममें
इश्क़ की कामयाबी में इतने झूठ हैं आते

भीड़ थी आशिको, मर्ज बढ़ता जा रहा मेरा
उनको है कहा फुर्सत जो हमको देखने आते

मैं तो कहता ही था हर्ष से इश्क की राह है मुश्किल
प्यार मिलता कहा सबको जो हैं इश्क़ फरमाते।

(⁠*⁠・⁠~⁠・⁠*⁠)

हर्ष पाण्डेय

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