सोच - सोच घबराने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
प्यार में जो ये ज़ुल्म हुआ है
पास कोई , कोई फेल हुआ है
रात - रात में जगाने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
जिसने ना इश्क में नफरत पाईं
वो क्या जाने पीर पराई
ना रात शुकून , ना चैन है दिन में
दिल मेरा है तेरे तन में
आंखों को चार करने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
बीत गए वो दिन मतवाले
गुज़रे थे जो साथ तुम्हारे
भूल गया था घर आगन मैं
छोड़ चुका था हर दामन मैं
अपनी याद में रूलाने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
वादें किए थे संग जिएंगे
संग जिएंगे , संग मरेंगे
मैं तुमसे धोखा ना करूंगा
तुम मुझसे धोखा ना करना
दिलबर मेरे कहाने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
याद है तुमको रात सयानी भींगे तन ये बरसे पानी
तार ये दिल के जुड़ चुके थे
ऐसे पहले हम ना मिले थे
मुझको अपना बनाने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
चिट्ठी वाले दिन वो शुरू थे
मिलने को दिल मचल रहे थे
सारे बंधन तोड़ के आजा
कहना चाहु कह नहीं पाता
दिल को मेरे चुराने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
चर्चा हर गलियों में हुई थी
खुब चली मशहूर हुईं थीं
मुझको अब कुछ होश नहीं है
तुमसे मिलना दोष यही है
पता चला था घर वालों को
रो - रो कर बिछड़े थे दोनों
मिलन दोबारा हो ना सकेंगा
सुमन दुबारा खिल ना सकेंगा
प्यार में मुझको हराने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
सोच - सोच घबराने वाले क्या चाहता है ये तो बता दे
Composed by- HarsH
Pandey
0 Comments