पर मेरे अलावा यह पीड़ा कौन सहेगा
कभी-कभी सिर दर्द से चकरा जाता
जोड़ों के दर्द से मन कुछ घबरा सा जाता है
अजीब सी उलझन है पर कुछ कह नहीं सकते
जाने क्यों खाने में अब स्वाद नहीं आता
यह वक्त की खासियत देखिए
मैं थोड़ा सा ख़ास दू
तो कोई पास नहीं आता
और छींक का तो रहने ही दो
क्या बोलूं अब हर्ष से ज्यादा बयान नहीं कर पाता
दबाव का मुझ पर असर है
या बाकी कोई और कसर है
बुलाया था कि इंतेहान लेंगे
पर अब हर वक्त मेरे सब्र का इंतिहान हो जाता
दुआ है दोस्तों की
या मां बाप का आशीर्वाद है
वरना मैं कब का दुनिया छोड़ जाता
रियायत बस इतनी होनी थी
कि मैं घर छोड़कर ना जाता
कुछ के तालीम और इंसान होने पर मुझे शक है
कहते हैं यह सब अफवाह है
यह सब कुछ नहीं होता।
मुझे कहना तो नहीं चाहिए पर
काश एक बार करोना आपको भी हो जाता
5 Comments
Nice
ReplyDeleteBest lines👌👌
ReplyDeleteharsh 😕
ReplyDeleteGjb
ReplyDeleteWaah munna
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