मन के आंगन सजाएं तुम्हारे लिए
खुद को पागल बनाए तुम्हारे लिए
प्रेम होता है ऐसा मुझे क्या ख़बर
प्रेम में मर जाए तुम्हारे लिए
सारी खुशियां दे दे खुदा जो तुम्हें
गम के सागर आ जाए हमारे लिए
रात के जैसी निश्चल बन जाओ तुम
दिन का उलझन हो जाए तुम्हारे लिए
अधूरी अपनी कहानी बनी
अधूरे रहे हम तुम्हारे लिए
यश को भी है गम
आंख में है नमी
हर्ष हो गए उदास तुम्हारे लिए
✒️-हर्ष पाण्डेय
0 Comments