ये रातों के सन्नाटे
ये रातों की ख़ामोशी
जैसे मुझसे ,
ये बातें करना चाहें
कुछ कहना चाहें मुझसे
पर उस भाषा का ज्ञान नहीं
जिससे यह सब समझा जाए
पर खाली हाथ वापस आएं
ऐसा मेरा अब मन नहीं
मैं अभी भी बैठा हु वहीं
Composed by- HarsH Pandey
4 Comments
Badhiya hai bhai
ReplyDeleteKeep on. Best lines 👍👍👍
ReplyDeleteAwesome lines
ReplyDeleteLovely lines
ReplyDelete